Thursday, November 19, 2009

एक और विभाजन कि तरफ बढ़ता भारत !

१४ अगस्त १९४७ भारत के इतिहास में एक बुरे स्वप्न की तरह था जिसे इस देश के हर नागरिक ने महसूस किया और साथ ही साथ ये प्रार्थना भी की कि भविष्य में ऐसा दिन अपने देश को कभी भी न देखना पड़े! इसी दिन भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान का जन्म हुआ, वाकई ये एक ऐसा समय था जब परिस्थितिया अनुकूल नहीं थी और जिस एक भारत का सपना हमारे नेताओ ने देखा तो वो टूट चूका था परन्तु उसके बाद भी उन्होंने कोशिश की कि ये एक भारत का सपना हर भारतीय के दिल में रहे, हमे गर्व होता है ये कहने में कि हम भारतीय है और होना भी चाहिए.क्योंकि जिस व्यक्ति को अपने देश से प्यार ना हो उसका जीवन व्यर्थ है परन्तु यहाँ कुछ लोगो को ये कहने में ज्यदा गर्व महसूस होता है कि वो मराठी है या दक्षिण भारतीय है उन्हें लगता है कि वो बाकी के भारतीयों से अलग है पर अफ़सोस वो कितना गलत सोचते है मै आप सभी का ध्यान मनसे के तरफ ले जाना चाहता हूँ मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना )
ये लोग जो कर रहे है उस से ये चीज़ तो पता चलती है कि उन्हें अपने राज्य से कितना प्रेम है पर जिस तरीके से कर रहे है क्या वो तरीका सही है ? नहीं मेरी समझ से तो ये बिलकुल ही गलत है अपने अधिकारों का गरीब और मजबूर लोगो पर गलत तरीके से प्रयोग करना सही नहीं है. और हम इसे किसी भी रूप में सही नहीं ठहरा सकते! २६/११ का दिन केवल मुंबई ही नहीं अपितु पुरे देश के लिए एक काला दिन था जब मुंबई के ताज होटल के साथ ही साथ अन्य प्रतिष्ठित स्थान आतंकवादियों से घिरे हुए थे सेना के जवान जांबाजी से उन आतंकवादियों का डट कर मुकाबला कर रहे थे क्या उन जवानों में सब मराठी ही थे ? नहीं, उन जवानों के लिए देश ही सबसे ऊपर है उन के लिए मुंबई, दिल्ली , कश्मीर सब एक है. उनका मकसद देश और देशवासियों कि रक्षा करना था और वो अपने कर्त्तव्य का निर्वाह पूरी तत्परता के साथ कर रहे थे उनके मन में तनिक भी ये विचार नहीं था कि ये वो राज्य है जहा के लोग देश के अन्य राज्यों से नफरत करते है
सबसे बड़ी बात तो मै ये जानना चाहता हूँ कि मनसे के वो कार्यकर्ता उस वक़्त कहा थे जब आतंकवादी मुंबई का सीना छलनी कर रहे थे क्या उस समय उनका राज्य प्रेम ख़त्म हो गया था या वो डर रहे थे ?
वो अपनी ताकत का प्रयोग केवल निहत्थे और मजबूर लोगो पर ही कर सकते है और इसी में वो अपना बड़प्पन और शान समझते है.
अभी हाल ही में जो मुंबई विधान सभा में घटित हुआ उस से विधान सभा कि मर्यादा बुरी तरीके से आहत हुई है ये वाकई एक अशोभनीय कृत्य था कि एक प्रतिनिधि ने दूसरे प्रतिनिधि को केवल इस वजह से थप्पड़ मार दिया क्योंकि उसने शपथ स्थानीय भाषा कि जगह राष्ट्र भाषा हिंदी में लिया हमारी राष्ट भाषा हिंदी का स्थान किसी भी अन्य स्थानीय भाषा से ऊपर था , है और रहेगा ये बात उन्हें मालूम होनी चाहिए. हमें ऐसे लोगो के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे जो अपने आप को देश के और देश के संविधान के ऊपर समझते है जिनके लिए कानून कोई मायने नहीं रखता.
अगर इन्हें अभी नहीं रोका गया तो फिर ये देश दूसरे विभाजन के लिए तैयार रहे जिसे कोई नहीं रोक सकता !!
आपकी इस बारे में क्या राय है ?

4 comments:

  1. हमें ऐसे लोगो के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे जो अपने आप को देश के और देश के संविधान के ऊपर समझते है जिनके लिए कानून कोई मायने नहीं रखता.
    Right approach.Unfortunately vote politics is more important in our political culture.

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  2. sahi likha aapne...desh isi disha me badh raha hai....

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  3. ---- चुटकी----

    राहुल थके
    प्रियंका ने
    चलाई कार,
    अब तो
    यह भी है
    टीवी लायक
    समाचार।

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