Wednesday, March 17, 2010

मूर्ति और मुद्रा

मनुष्य अपने जीवन काल के विभिन्न अवस्थावो में विभिन्न चीजों से प्यार करता है, कोई पशुओ से प्यार करता है तो कोई पेड़ पौधों से प्यार करता है, किसी को संगीत से प्यार है तो कोई और किसी कला को प्रेम करता है पर उसके जीवन में कुछ कुछ चीज़े ऐसी होती है जिससे उसे लगाव रहता है ! वास्तविकता में ये चीज़े उस मनुष्य के मनोभावों को दर्शाती है, उसके किसी के प्रति प्रेम को देखकर हम आसानी से उसकी सोच और मनोभावों को समझ सकते है
आइये अब हम बात करते है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती के बारे में, कहा जाता है की स्त्रियों को गहनों से बहुत प्यार होता है परन्तु इन्हें गहनों का शौक नहीं अब बात ये आती है की अगर इन्हें गहनों का शौक नहीं तो फिर किस चीज़ का शौक है तो जनाब इन्हें शौक है मूर्ति और मुद्रा(धन) का जिसे अगर मै अपनी भाषा में कहू तो ये शौक नहीं सनक है..
आजकल लखनऊ शहर में जितनी हाथियों की मूर्तिया लगी है उन्हें देखकर मुझे तो यही डर लगता है की कही लखनऊ का ये एतिहासिक और गौरवमयी नाम बदलकर हाथीनगर ना कर दिया जाये , विकास की उपेक्षा कर पार्को के सौन्दर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिसके पीछे इनका अपना तर्क ये है की हम गरीब और मजदूर तबके के लोगो को रोज़गार दे रहे है
भला इस तरह के आंशिक कार्यो से मजदूरों के किस भविष्य का निर्माण हो पायेगा..पार्को और मूर्तियों पर हो रहे फिजूलखर्ची की जगह अगर उन पैसो को समुचित जगह पर उपयोग किया जाये जिससे रोज़गार की समस्या से जूझ रहे पढ़े लिखो और मजदूर तबके के लोगो का भला हो सके तो मै समझता हूँ की ये एक प्रशंशनीय कार्य होगा ! पर इन समस्याओ की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता सब एक दुसरे की टांग खीचने में लगे हुए है जनता के पैसो का इस तरह से दुरूपयोग किया जा रहा है जिसे करने का इन्हें कोई हक नहीं है
अभी हाल ही में लखनऊ में संपन्न हुई बसपा की रैली में मायावती को पहनाई गयी हार की बड़ी चर्चा रही और हो भी क्यों नहीं करोड़ो रुपये के नोटों से बनाये गए हार की चर्चा नहीं होगी तो फिर किस चीज़ की होगी, विपक्षी पार्टियो को तो मौका मिल गया अपनी भड़ास निकलने का हर कोई अब उस हार के पीछे पड़ा हुआ है हर कोई जांच की मांग कर रहा है की पार्टी के पास इतने पैसे आये कहा से कही ये सरकारी पैसो का दुरूपयोग तो नहीं है..
वास्तविकता तो बस इतनी है की जिसके भी हाथ दुसरे की कमजोरी लगती है वो उसी की ढपली बजाने लग जाता है, कोई भी किसी प्रकार का मौका हाथ से नहीं जाने देता वही कार्य आजकल विपक्षी दल कर रहे है..
पर अब सोचने और जागने की बारी हमारी है हमे सही आदमी की खोज करनी होगी..

1 comment:

  1. oh!!!God hats off to you... aaj maine dekha aapka ye blog . maza aa gaya aapne jo bhi meri aadarniya (respected)Bua g(actually sabki behan g hain toh meri toh bua hui na...)ke baare mein vichar prastut kiye.. really has has k lot pot ho gayi iss hathi nagar ke baare mein sun ke.

    ReplyDelete