५ जून की रात राम लीला मैदान में अनशनकारियो के साथ जो कुछ भी हुआ उससे सरकार की अपनी नाकामी पर बौखलाहट साफ़ जाहिर होती है और होना भी जायज़ है क्योंकि जिस काले धन को वापस लाने की मांग की जा रही है उसमे सरकार के प्रत्येक मंत्रियो, नेताओ यहाँ तक की छोटे से बड़े सभी लोगो को सामान रूप से हिस्सा है.. काले धन के हमाम में सभी नंगे है और अगर ऐसी कोई भी बात खुलती है तो उनके भी कारगुजारिया जग जाहिर हो जायेंगे.इस लिए वो किसी भी तरह से इस बात को पूरा दबाना चाहते है और ऐसा ही उन्होंने ५ जून की रात दिल्लीं के राम लीला मैदान में किया भूखे, असहाय निहत्थे और सो रहे लोगो पर बर्बरता पूर्वक प्रहार करना किसी भी तरह से न्यायपूर्ण नहीं है, अपने इस लोकतांत्रिक देश भारत में हर किसी को अपनी बात कहने का पूरा हक है और अगर वो बात हमारे देश के हित में हो तो हम सभी भारत वासियों को एकजुट होकर उसका समर्थन करना चाहिए और ऐसा ही हुआ स्वामी रामदेव के इस आन्दोलन में उनके अनुययियो सहित पुरे देश ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया वे गांधीवादी तरीके से भूख हड़ताल कर अपनी बात को जनता और सरकार तक पहुचने का कार्य कर रहे थे परन्तु अपनों के कुकर्मो से पहले ही जनता का आक्रोश झेल रही सरकार ये बर्दास्त न कर सकी और उसने ऐसा अमानवीय कदम उठाया जिसे कोई सोच भी नहीं सकता शायद उन्हें ये तरीका पसंद नहीं आया या वो ये चाहते है की शांतिपूर्वक अपनी मांगो को पूरा कराने वाली जनता अब इसके लिए हथियार उठा ले.. और हिंसा के बल पर ही वो इस सरकार पर विजय प्राप्त करे..
लगातार हो रहे घोटालो, महंगाई वृद्धि, पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि और इस तरह से हो रहे दमन कार्यो से सरकार ने राजनितिक आत्महत्या का प्रयास कर अपने आप को पूरी तरह से जनता की नज़रो में गिरा लिया है, अगर ये पार्टी दुबारा सरकार में आती है तो ये भारत देश के लिए एक दुर्भाग्य पूर्ण घटना होगी. और इस देश का निशित तौर पर पूर्ण पतन हो जायेगा..
हमे अपने देश को इन राजनितिक दरिंदो से बचाना होगा...
"जो भरा नहीं है भावो से बहती जिसमे रसधार नहीं..!!
वो ह्रदय नहीं वो पत्थर है जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं..!!"
जय हिंद...
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